जिन्दगी में ऊंचाई


 MOTIVATION               

जिन्दगी में ऊंचाई पर जाने की तमन्ना हर किसी की

होती है मगर क्या हम सभी अपने Dreams को हकीकत में
बदल पाते हैं??
जवाब सब जानते हैं – नहीं!
आखिर ऐसा क्या भिन्न होता है उन दो अभ्यर्थियों
में जिनके पास एक जैसी शिक्षा, समान पुस्तकें और
अन्य भौतिक समरूपताएं होती हैं फिर भी उनमें से एक
तो sucsess का स्वाद चख लेता है और दूसरा
फिरसे एक बार कसम खाता है कि इस बार परीक्षा
का फार्म भरते ही पढूंगा। प्रायः ऐसे अभ्यर्थीअपनी
नाकामयाबियों का बोझ curption, मीडियम और
शहर-ग्रामीण के जालदार शब्दों पर डाल देतेहैं।
मित्रों, विश्वास करें कि यह life इतनीकीमती
है कि आप इसके साथ यह परीक्षण नहीं कर सकते हैं कि
अगली बार………..सचमुच अगली बार पक्का !
एक बार खुद को ईमानदारी से झोंक कर तो देखें अपने
सपनों के पीछे, बिना किसीनकारात्मकता,पूर्वाग्रह
या लीपापोती के। एक बार किसी दिन सुबहसे शाम
तक अपने सपने को अपनेसाथ-साथ चलाइए, उसका
आनंद
उठाइए और सोचिए कि आगे चार-पांच साल के बाद
अगर आपको आपके सपने नहीं मिले तो आप क्या करेंगे
उसके बिना। सारी जिन्दगी औरों के लिए तालियां
बजाने के लिए थोड़ी जन्में हैं हम। अपने वजूद को
साकार न कर पानेके मलाल के साथ गुमनामी केपन्नों
में बहुत से लोग मर जाते हैं। हमें नहीं मरना है, हम अपने
सपनों कोसच करने के लिए अपनी तमाम क्षमताओं के
साथ न्याय करेंगे। जब तक हम sucsesss नहीं हो जाते
हैं तब तक हम केवल अपनी धुन में रहेंगे, अपने सपने के
पीछे…हमारा संसारहोगा हमारे सपने, हमारी
किताबें और परिवेश में बिखरा ज्ञान। हम अगर ठोकर
भी खायेंगे तो फिर उठेंगे, अड़े रहेंगे, डटे रहेंगे और एक
दिन तालियों की करतल ध्वनियों के बीच हम देखेंगे
अपने सपने को अपनी आँखों के सामने साकार होते
और मुस्कुराते हुए। ऊंचाई पर जाने की तमन्ना या
तोकरो ही मत और अगर कर लेते हो तो फिर संघर्ष के
लिए तैयार रहो। मां शारदे का वरदहस्त न तो
खिलंदड़पन में मिलता है और ना ही कागजी तैयारी
में। मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ किकामयाबी
का रिश्ता ना तो 13-14 घंटे की पढ़ाई से है और ना
किताबों के ढेर से या चैक-जैक से। ये तो हारे हुए के
लिए खुद की तसल्ली के साधन हैं। कामयाबी का
सम्बन्ध तो उचित तैयारी के साथ है जो आपको
किसी विषयवस्तु का विश्लेषण करना सीखा दे और
अभिव्यक्त करने का सामर्थ्य दे दे। विनम्रता के साथ
सीखने की अनवरत तथा अनथक कोशिश और खुद पर
भरोसा ही मेरी नज़र में सबसे बड़ी ताकत है। हार मत
मानिए, लगे रहिएऔर बता दीजिए पूरी दुनिया को
कि आपका जन्म निराश लोगों में खड़े रहने के लिए
नहीं हुआ है, अपितु सफलता की नई इबारत रखने के
लिए हुआ है।आखिर में आप सभी तैयारी करने वाले
साथियों सेसिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ कि आम
से ख़ास की तरफ बढि़ए, वर्ना जीते तो सभी हैं – वे
भी जो कतार के सबसे पीछे हैं और वे भी, जो जहां
खड़े होतेहैं, कतार वहीं से शुरू होती है। चुनना आपके
हाथ में है कि आप चंद कामयाब लोगों मेंशुमार होना
चाहते हैं या उनमें जो अपने सपनों को सिसकते और दम
तोड़ते हुए देखते हैं।                                          यह भी पड़े    
ALL THE BEST!!!
MISSION 2017!!!